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बीए सेमेस्टर-1 गृह विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2634
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 गृहविज्ञान

9

 

पकाने की विधियाँ

(Cooking Methods)

 

प्रश्न- भोजन पकाना क्यों आवश्यक है? भोजन पकाने की विभिन्न विधियों का वर्णन करिए।

अथवा
विभिन्न पौष्टिक तत्वों पर भोजन के पकाने का क्या प्रभाव पड़ता है? भोजन पकाने की सबसे उत्तम विधि कौन-सी है तथा क्यों?
अथवा
भोजन को पकाने से क्या लाभ हैं?
अथवा
भोजन पकाने की विभिन्न विधियाँ क्या हैं तथा वे भोजन के पौष्टिक मूल्य को किस प्रकार प्रभावित करती हैं?
अथवा
भोजन पकाने की विभिन्न विधियाँ पौष्टिक तत्वों की मात्रा को किस प्रकार प्रभावित करती हैं? विस्तार से बताइए।
अथवा
भोजन पकाने की कौन-कौन सी विधियाँ हैं तथा भोजन बनाते समय क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए?
अथवा
भोजन पकाने के विभिन्न विधियाँ क्या होती हैं? किन्हीं दो तरीकों को विस्तारपूर्वक बताइये तथा इन विधियों के पौष्टिक तत्वों पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में भी बताइये।
अथवा
भोजन पकाने के विभिन्न विधियाँ क्या होती हैं तथा भोजन पकाने का क्या प्रभाव पड़ता है?
सम्बन्धित लघु प्रश्न
1. वसा के माध्यम से पकाने के तरीके का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
2. भोजन पकाते समय किन-किन कारकों को ध्यान में रखना चाहिए?
3. भोजन पकाने की कोई दो विधियाँ बताइये।
4. हवा द्वारा भोजन पकाने की कौन-सी विधियाँ हैं?
5. भोजन पकाने की सबसे उत्तम विधि कौन सी हैं? उचित कारणों के साथ स्पष्ट कीजिए।
6. भोजन तैयार करने में पौष्टिक तत्वों को सुरक्षित रखने हेतु किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
7. ऐसी सावधानियाँ सुझाइए जिनसे भोजन तैयार करते समय पोषक तत्व कम से कमनष्ट हों।

उत्तर-

 

भोजन पकाने की आवश्यकता

भोजन पकाने के कई उद्देश्य होते हैं जैसे -

1. भोजन को सुपाच्य बनाना - भोज्य पदार्थ जटिल होते हैं, अगर इनको कच्चा ही खाया जाए तो यह ठीक तरह पच नहीं पाते हैं अतः इन्हें सुपाच्य बनाने के लिए पकाना आवश्यक होता है।

2. भोजन को स्वादिष्ट व आकर्षक बनाना व उसके रूप में सुधार लाना पकाने से भोजन देखने में और अधिक आकर्षक व स्वादिष्ट हो जाता है। इसके रंग, बनावट, आकार तथा गन्ध में परिवर्तन हो जाता है, जिससे भोजन रुचिकर हो जाता है।

ये सभी परिवर्तन निम्न प्रकार से होते हैं -

(i) रूप व आकार में परिवर्तन भोज्य पदार्थों को पकाने से उनके रूप में परिवर्तन आता है। कच्चा स्टार्च व कच्ची प्रोटीन खाने में स्वादिष्ट नहीं होती और उनके ऊपर सैल्यूलोज का आवरण रहता है लेकिन पकाने से उनके रूप और स्वाद में परिवर्तन हो जाता है।

(ii) रंग में परिवर्तन - भोजन का रंग भोजन को सुन्दर व आकर्षक बनाने में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। व्यक्ति भोजन को  सुन्दर रंग के कारण ही देखकर आकर्षित होता है और उसकी भूख में. भी वृद्धि होती है। भोज्य पदार्थों को खरीदते समय उसके गुणों की विवेचना रंग देखकर की जाती है। 

(iii) बनावट में परिवर्तन भोजन को पकाने से उसकी बनावट में अत्यधिक परिवर्तन आ जाता है। भोजन की बनावट का अर्थ है कि भोज्य पदार्थ किस प्रकार का है जैसे- कोमल, सख्त, लचीला, स्पंजी, लसीला, कुरकुरा या रेशेदार पकाने से भोज्य पदार्थों की बनावट में परिवर्तन आ जाता है।

(iv) स्वाद व गंध में परिवर्तन भोजन पकाने से भोजन स्वादिष्ट हो जाता है। भोजन का अच्छा स्वाद उसमें डाले गये घी, मसाले आदि के कारण भी होता है। पकाने के पश्चात् भोजन सुगन्धित हो जाता है। कुछ भोजन पकाने की क्रिया में गन्धयुक्त पदार्थ भी डाले जाते हैं जो उसकी सुगन्ध बढ़ाते हैं।

3. भोजन के रोग जीवाणुओं को नष्ट करना भोज्य पदार्थों में वातावरण के विभिन्न माध्यमों से कई जीवाणु प्रवेश कर जाते हैं। यदि भोजन को कच्चा ही खाया जाए तो उस स्थिति में ये जीवाणु शरीर में पहुँच जाते हैं तथा शरीर को रोगी बना देते हैं। इन स्थितियों से बचने के लिए यदि भोजन को पका लिया जाए तो अधिक ताप पर आने के कारण भोजन के जीवाणु नष्ट हो जाते हैं तथा भोजन सुरक्षित हो जाता है।

भोजन पकाने की विधियाँ

भोजन पकाते समय उसके माध्यम को ध्यान में रखते हुए भोजन चार विधियों से पकाया जाता है।

1. जल द्वारा पकाना - इस विधि से भोजन पूरी तरह से जल से घिरा रहता है। इस विधि को जल की मात्रा व जल के तापक्रम को ध्यान में रखते हुए तीन विधियों में विभाजित किया जाता है -

(i) उबालना (Boiling) - पानी 100° या 112° ताप पर उबलता है पर यदि उसमें कोई भोज्य पदार्थ या नमक डाल दिया जाता है तो उबलने का तापक्रम और बढ़ जाता है।

(ii) खदकाना ( Simmering) - खदकाना व उबालने की विधि में विशेष अन्तर पानी के तापक्रम का होता है। इस विधि में भोजन 180° से 210° तापक्रम पर गर्म किया जाता है। पानी का तापक्रम उबलने के तापक्रम तक न पहुँच पाने के कारण पानी के बुलबुले ऊपरी सतह तक पहुँचने के पहले ही फूट जाते हैं।

(iii) स्टयूइंग (Stewing) - यदि भोजन पकाते समय उसमें पानी व ताप दोनों ही बहुत कम रखा जाए तो यह विधि Stewing कहलाती है।

2. हवा द्वारा पकाना यदि भोज्य पदार्थ तथा आग के बीच कोई अन्य माध्यम नहीं है तो हवा आग की गर्मी लेकर पदार्थ को पहुँचाती है। इस विधि द्वारा पका भोजन हवा द्वारा पका भोजन कहलाता है।

(i) भूनना या सेंकना (Roasting or Broiling)  - इस विधि में भोजन सीधे आग के सम्पर्क में होता है। आग की लौ व हवा भोजन को अन्दर तक गलाकर पका देती है। बैंगन, आलू व भुट्टा आदि भूनने के लिए यही विधि अपनायी जाती है। रोटी फुलाने के लिए भी उसे सीधे आग पर रखा जाता है जिससे वह पूरी तरह सिक जाती है।

(ii) धातु के बर्तन में भूनना (Pau Broiling) इस विधि में भोजन को भूनने के लिए बर्तन जैसे तवा या कढ़ाई का प्रयोग किया जाता है पर अन्य कोई माध्यम प्रयोग नहीं होता है। आग की गर्मी से धातु गर्म हो जाता है तथा यह धातु की गर्मी भोजन को पका देती है। तवे पर रोटी सेंकना, सूजी, दलिया, आटा आदि इस विधि से भूनते हैं।

(iii) तन्दूर में पकाना (Baking) - इसमें भोज्य पदार्थ एक विशेष प्रकार की भट्ठी या तन्दूर या ओवन से पकता है। किसी भी प्रकार के ओवन के ढक्कन या दरवाजे को बार-बार नहीं खोलना चाहिए अन्यथा अन्दर की गर्म हवा निकलती रहेगी। ट्रे या टिन में भोज्य पदार्थ रखने के पहले उन पर चिकनाई लगा लेनी चाहिए जिससे भोज्य पदार्थ पकने के बाद आसानी से उठ जाए।

3. चिकनाई द्वारा पकाना - इस विधि में भोज्य पदार्थ चारों तरफ से किसी चिकनाई, जैसे घी या तेल से घिरा रहता है। ऊष्मा पहले चिकनाई द्वारा ग्रहण की जाती है फिर चिकनाई ऊष्मा को भोज्य पदार्थ में पहुँचाती है। वसा अधिक तापक्रम पर उबलने के कारण वह अधिक ऊष्मा को अवशोषित कर लेता है। अतः भोज्य का ऊर्जा मूल्य बढ़ जाता है पर भोजन गरिष्ठ हो जाने के कारण सुपाच्य नहीं रहता है।

(i) गहरा तलना (Deep Frying) - इस विधि में घी अथवा तेल की मात्रा इतनी ली जाती है कि भोज्य पदार्थ उसमें डालने पर पूरा डूब जाए। गहरे तलने की क्रिया कढ़ाई में की जाती है।

(ii) उथला तलना (Shallow Frying) - इस विधि में वसा की मात्रा कुल इतनी प्रयोग की जाती है कि भोजन बर्तन से चिपके नहीं। यह क्रिया कढ़ाई या फ्राई पैन (Fry Pan) या तवे पर की जाती है।

(iii) शुष्क विधि (Dry Frying) - इस विधि में बाहरी वसा का प्रयोग नहीं किया जाता है। भोज्य पदार्थ की प्राकृतिक वसा ही निकालकर भोजन को तलने में सहायता करती है तथा भोजन को बर्तन से चिपकने से बचाती है।

4. भाप द्वारा पकाना - जल का गैस रूप वाष्प कहलाता है। जब जल उबाला जाता है तो उबलने के बाद वाष्प अथवा भाप में परिवर्तित हो जाता है और वाष्प के रूप में बर्तन को उठाकर ऊपर जाने लगता है। इस विधि में भोजन के भाप के सम्पर्क को ध्यान में रखते हुए भाप द्वारा पकाने की दो विधियाँ होती हैं -

(i) प्रत्यक्ष विधि (Direct Method) - इस विधि में एक बर्तन में पानी गर्म करते हैं। इस बर्तन में एक जाली या बर्तन रखकर भोज्य पदार्थ उसमें रखा जाता है, बर्तन में रखा पानी उबलने पर भाप बनती है और उसकी भाप से उस पर रखा भोज्य पदार्थ पकता है। बर्तन को ऊपर से ढक दिया जाता है। ढोकला, खमन तथा रसाजय इसी विधि से पकाये जाते हैं। कुछ भोज्य पदार्थों को पकाने के लिए एक विशेष प्रकार का पात्र उपयोग में लाया जाता है, जैसे- इडली का बर्तन इसमें एक बड़े भगौने या प्रेशर कुकर में इडली स्टैण्ड रखा जाता है। इडली स्टैण्ड में छोटी-छोटी कटोरियाँ स्टैण्ड में ऊपर- नीचे लगी रहती हैं। इन कटोरियों में छोटे-छोटे छिद्र होते हैं, नीचे के बर्तन में पानी उबलता रहता है तथा उसमें बनी भाप छेदों द्वारा कटोरियों में रखे भोज्य पदार्थ के सम्पर्क में आकर उसे पकाती है। इस विधि से इडली तैयार की जाती है।

(ii) अप्रत्यक्ष विधि ( Indirect Method) इस विधि में एक बड़े बर्तन में पानी गर्म करते हैं तथा उसमें दूसरे छोटे बर्तन में भोज्य पदार्थ ढक कर रख देते हैं, छोटे बर्तन को अच्छी तरह बन्द रखना चाहिए, ताकि पानी भोज्य पदार्थ के अन्दर न जा सके। भोज्य पदार्थ भाप के साथ अप्रत्यक्ष रूप से सम्पर्क में रहता है तथा भोजन स्वयं अपने ही रस में पकता है। इस विधि से विभिन्न प्रकार की पुडिंग तैयार की जाती है।

5. वाष्प के दबाव द्वारा पकाना (Pressure Cooking) - यह विधि भी कुछ अंश में वाष्प द्वारा भोजन पकाने की ही विधि है। इस विधि में वाष्प से दबाव उत्पन्न किया जाता है।

प्रेशर कुकर का सिद्धान्त प्रेशर कुकर एक भगौने के समान मोटी धातु का बना होता है जिसका ढक्कन उसमें पूरी तरह फिट हो जाता है जिससे बर्तन ढंकने पर वाष्प किनारे से न निकल सके। भोजन को पकाने के लिए बर्तन में नीचे पानी डालकर रख दिया जाता है तथा कुकर की जाली के ऊपर कुकर के पैन में वांछित भोजन रख दिया जाता है। कुकर को ढँक कर आग पर रखने से पानी की वाष्प बननी शुरू होती है जोकि ढक्कन बंद होने के कारण बाहर नहीं निकल पाती है। जैसे-जैसे वाष्प की मात्रा बढ़ती जाती है, उसका दबाव बढ़ जाता है जिससे पानी के उबलने का तापक्रम बढ़ता जाता है। बहुत अधिक दबाव बढ़ने पर अतिरिक्त वाष्प की मात्रा कुकर के ढक्कन में लगे वेट बाल्व के द्वारा बाहर निकल जाती है। इसे ही सीटी बजना कहते हैं।

पकाने पर भोजन के रंग, रूप व गन्ध पर प्रभाव

1. रंग - भोज्य पदार्थ पकाने पर उसमें उपस्थित प्राकृतिक रंग प्रभावित होते हैं। भोज्य पदार्थ में मुख्यतः चार प्राकृतिक रंग होते हैं।

(a) क्लोरोफिल यह हरे रंग का पदार्थ है जो हरी पत्तीदार सब्जियों और फलों में पाया जाता है, जैसे- पालक, मैथी, पुदीना व चौलाई आदि। भोजन पकाने से ताप का क्लोरोफिल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

(b) कैरोटीन यह पीले रंग का पदार्थ है जो पीली, नारंगी व हरी सब्जियों में पाया जाता है। इस रंग पर ताप, अम्लीय या आरीय माध्यम से कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

(c) एन्थोसाइनिन यह लाल, जामुनी रंग का पदार्थ है जो मुख्यत: चुकन्दर, जामुन व काली गाजर आदि में पाया जाता है। ताप से ये अप्रभावित रहता है पर अम्लीय माध्यम में यह हल्के लाल रंग का तथा आरीय माध्यम से यह नीला हो जाता है।

(d) फ्लेवोन्स - यह सफेद रंग की सब्जियों जैसे आलू गोभी व प्याज में पाया जाता है। ताप व अम्लीय वातावरण से तो यह अप्रभावित रहता है किन्तु क्षारीय वातावरण में यह पीला रंग ग्रहण कर लेता है।

2. टैक्सचर - भोजन पकाने से उसमें उपस्थित सेल्यूलोज मुलायम व नरम हो जाता है। अब ये • अधिक सुपाच्य हो जाता है। पकाने की क्रिया में स्टार्च के कण फूट जाते हैं जिससे स्टार्च युक्त खाद्य पदार्थ में परिवर्तन आ जाता है। ऐसा भोजन ढीला हो जाता है, जैसे आलू, शकरकन्दी, चावल व साबूदाना प्रोटीनयुक्त पदार्थों को पकाने से उसकी प्रोटीन जम जाती है, जैसे- अण्डा, माँस, मछली आदि।

3. गंध - कुछ भोज्य पदार्थों की अवांछनीय गन्ध भोजन पकाने से नष्ट हो जाती है, जैसे- मछली, प्याज व शलजम आदि। कुछ भोज्य पदार्थ पकने पर और भी अधिक सुगन्धित हो जाता है। भोजन की गंध भोजन पकाने की क्रिया से विशेष रूप से प्रभावित होती है। भोजन को जल द्वारा पकाने की क्रिया से विशेष रूप से प्रभावित होती है। भोजन को जल द्वारा पकाने की अपेक्षा वसा व हवा द्वारा पकाना उसे अधिक सुगन्धित बनाता है।

भोजन पकाने का भोज्य तत्वों पर प्रभाव

कार्बोहाइड्रेट - भोजन में उपस्थित स्टार्च के उचित पाचन के लिए भोजन का पकाना आवश्यक है। गीले स्टार्च पकने से स्टार्च के कण फूलकर फट जाते हैं तथा उनका जिलैटनीकरण हो जाता है। पका हुआ स्टार्च कच्चे स्टार्च की अपेक्षा जल्दी पच जाता है।

वसा - भोजन पकाने से वसा के ऊपर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। बहुत अधिक ताप पर बहुत अधिक देर तक वसा गर्म करने से वसा के फैटी एसिड विभक्त हो जाते हैं जो स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालते हैं।

प्रोटीन - पकाने की क्रिया से प्रोटीन जमकर सिकुड़ जाती है। हल्की पकी हुई प्रोटीन कच्ची प्रोटीन की अपेक्षा जल्दी पच जाती है। पर भोजन के अधिक पकाने से जैसे अधिक भूनने व तलने की क्रिया में प्रोटीन का पोषण महत्व कम हो जाता है।

विटामिन 'ए' व कैरोटीन  - विटामिन 'ए' व कैरोटीन के जल में अघुलनशील होने के कारण ये तत्व भोजन के जल में नहीं आ पाते हैं तथा यह जल फेंकने पर विटामिन 'ए' की कोई हानि नहीं होती है।

थायमिन - भोजन को पकाते समय कुछ थायमिन से विभक्तिकरण के कारण थायमिन की हानि होती है।थायमिन पानी में घुलनशील होने के कारण भोजन के पानी में आ जाता है।

राइबोफ्लेविन - खाना पकाते हुए तेज प्रकाश के सम्पर्क में आने पर भोजन का राइबोफ्लेविन नष्ट हो जाता है। ऊष्मा तथा क्षार की क्रिया से भी राइबोफ्लेविन नष्ट हो जाता है।

नायसिन - भोजन के पानी को फेंक देने पर नायसिन की भी हानि होती है।

विटामिन सी - भोजन पकाने की क्रिया में विटामिन 'सी' का वायु से ऑक्सीकरण होने के कारण विटामिन 'सी' नष्ट हो जाता है। विटामिन 'सी' पानी में घुलनशील होने के कारण भी नष्ट हो जाता है।

खनिज तत्व - पके भोजन का पानी फेंक देने से कैल्शियम, फास्फोरस, लोहा, सोडियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम आदि विभिन्न खनिज तत्वों की हानि होती है। भोज्य पदार्थों को कठोर पानी में पकाने से पानी का कैल्शियम भोजन में आ जाता है।

भोजन पकाते समय बरतने वाली विशेष सावधानियाँ

हमें भोजन पकाते समय निम्नलिखित सावधानियाँ बरतनी चाहिए -

1. विभिन्न सब्जियों को जहाँ तक हो छिलके सहित पकाना चाहिए। छिलके सहित पकाने से भोज्य तत्वों की हानि कम होती है।

2. विभिन्न सब्जियों, विशेष रूप से हरी पत्ती वाली सब्जियों को धोकर फिर काटना चाहिए। काटकर धोने से कई भोज्य तत्व नष्ट हो जाते हैं।

3. सब्जियों को बहुत छोटे-छोटे टुकड़ों में नहीं काटना चाहिए। बहुत छोटे आकार के टुकड़ों से भी भोज्य तत्वों की हानि अधिक होती है

4. भोज्य पदार्थों को अधिक समय तक पानी में भिगोकर नहीं रखना चाहिए तथा भीगे हुए भोजन के पानी को फेंकना नहीं चाहिए बल्कि भोजन को पकाने में प्रयोग कर लेना चाहिए।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- पारम्परिक गृह विज्ञान और वर्तमान युग में इसकी प्रासंगिकता एवं भारतीय गृह वैज्ञानिकों के द्वारा दिये गये योगदान की व्याख्या कीजिए।
  2. प्रश्न- NIPCCD के बारे में आप क्या जानते हैं? इसके प्रमुख कार्यों का वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- 'भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद' (I.C.M.R.) के विषय में विस्तृत रूप से बताइए।
  4. प्रश्न- केन्द्रीय आहार तकनीकी अनुसंधान परिषद (CFTRI) के विषय पर विस्तृत लेख लिखिए।
  5. प्रश्न- NIPCCD से आप समझते हैं? संक्षेप में बताइये।
  6. प्रश्न- केन्द्रीय खाद्य प्रौद्योगिक अनुसंधान संस्थान के विषय में आप क्या जानते हैं?
  7. प्रश्न- भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  8. प्रश्न- कोशिका किसे कहते हैं? इसकी संरचना का सचित्र वर्णन कीजिए तथा जीवित कोशिकाओं के लक्षण, गुण, एवं कार्य भी बताइए।
  9. प्रश्न- कोशिकाओं के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- प्लाज्मा झिल्ली की रचना, स्वभाव, जीवात्जनन एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  11. प्रश्न- माइटोकॉण्ड्रिया कोशिका का 'पावर हाउस' कहलाता है। इस कथन की पुष्टि कीजिए।
  12. प्रश्न- केन्द्रक के विभिन्न घटकों के नाम बताइये। प्रत्येक के कार्य का भी वर्णन कीजिए।
  13. प्रश्न- केन्द्रक का महत्व समझाइये।
  14. प्रश्न- पाचन तन्त्र का सचित्र विस्तृत वर्णन कीजिए।
  15. प्रश्न- पाचन क्रिया में सहायक अंगों का वर्णन कीजिए तथा भोजन का अवशोषण किस प्रकार होता है?
  16. प्रश्न- पाचन तंत्र में पाए जाने वाले मुख्य पाचक रसों का संक्षिप्त परिचय दीजिए तथा पाचन क्रिया में इनकी भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  17. प्रश्न- आमाशय में पाचन क्रिया, छोटी आँत में भोजन का पाचन, पित्त रस तथा अग्न्याशयिक रस और आँत रस की क्रियाविधि बताइए।
  18. प्रश्न- लार ग्रन्थियों के बारे में बताइए तथा ये किस-किस नाम से जानी जाती हैं?
  19. प्रश्न- पित्ताशय के बारे में लिखिए।
  20. प्रश्न- आँत रस की क्रियाविधि किस प्रकार होती है।
  21. प्रश्न- श्वसन क्रिया से आप क्या समझती हैं? श्वसन तन्त्र के अंग कौन-कौन से होते हैं तथा इसकी क्रियाविधि और महत्व भी बताइए।
  22. प्रश्न- श्वासोच्छ्वास क्या है? इसकी क्रियाविधि समझाइये। श्वसन प्रतिवर्ती क्रिया का संचालन कैसे होता है?
  23. प्रश्न- फेफड़ों की धारिता पर टिप्पणी लिखिए।
  24. प्रश्न- बाह्य श्वसन तथा अन्तःश्वसन पर टिप्पणी लिखिए।
  25. प्रश्न- मानव शरीर के लिए ऑक्सीजन का महत्व बताइए।
  26. प्रश्न- श्वास लेने तथा श्वसन में अन्तर बताइये।
  27. प्रश्न- हृदय की संरचना एवं कार्य का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- रक्त परिसंचरण शरीर में किस प्रकार होता है? उसकी उपयोगिता बताइए।
  29. प्रश्न- हृदय के स्नायु को शुद्ध रक्त कैसे मिलता है तथा यकृताभिसरण कैसे होता है?
  30. प्रश्न- धमनी तथा शिरा से आप क्या समझते हैं? धमनी तथा शिरा की रचना और कार्यों की तुलना कीजिए।
  31. प्रश्न- लसिका से आप क्या समझते हैं? लसिका के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  32. प्रश्न- रक्त का जमना एक जटिल रासायनिक क्रिया है।' व्याख्या कीजिए।
  33. प्रश्न- रक्तचाप पर टिप्पणी लिखिए।
  34. प्रश्न- हृदय का नामांकित चित्र बनाइए।
  35. प्रश्न- किसी भी व्यक्ति को किसी भी व्यक्ति का रक्त क्यों नहीं चढ़ाया जा सकता?
  36. प्रश्न- लाल रक्त कणिकाओं तथा श्वेत रक्त कणिकाओं में अन्तर बताइए?
  37. प्रश्न- आहार से आप क्या समझते हैं? आहार व पोषण विज्ञान का अन्य विज्ञानों से सम्बन्ध बताइए।
  38. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए। (i) चयापचय (ii) उपचारार्थ आहार।
  39. प्रश्न- "पोषण एवं स्वास्थ्य का आपस में पारस्परिक सम्बन्ध है।' इस कथन की पुष्टि कीजिए।
  40. प्रश्न- अभिशोषण तथा चयापचय को परिभाषित कीजिए।
  41. प्रश्न- शरीर पोषण में जल का अन्य पोषक तत्वों से कम महत्व नहीं है। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
  42. प्रश्न- भोजन की परिभाषा देते हुए इसके कार्य तथा वर्गीकरण बताइए।
  43. प्रश्न- भोजन के कार्यों की विस्तृत विवेचना करते हुए एक लेख लिखिए।
  44. प्रश्न- आमाशय में पाचन के चरण लिखिए।
  45. प्रश्न- मैक्रो एवं माइक्रो पोषण से आप क्या समझते हो तथा इनकी प्राप्ति स्रोत एवं कमी के प्रभाव क्या-क्या होते हैं?
  46. प्रश्न- आधारीय भोज्य समूहों की भोजन में क्या उपयोगिता है? सात वर्गीय भोज्य समूहों की विवेचना कीजिए।
  47. प्रश्न- “दूध सभी के लिए सम्पूर्ण आहार है।" समझाइए।
  48. प्रश्न- आहार में फलों व सब्जियों का महत्व बताइए। (क) मसाले (ख) तृण धान्य।
  49. प्रश्न- अण्डे की संरचना लिखिए।
  50. प्रश्न- पाचन, अभिशोषण व चयापचय में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  51. प्रश्न- आहार में दाल की उपयोगिता बताइए।
  52. प्रश्न- दूध में कौन से तत्व उपस्थित नहीं होते?
  53. प्रश्न- सोयाबीन का पौष्टिक मूल्य व आहार में इसका महत्व क्या है?
  54. प्रश्न- फलों से प्राप्त पौष्टिक तत्व व आहार में फलों का महत्व बताइए।
  55. प्रश्न- प्रोटीन की संरचना, संगठन बताइए तथा प्रोटीन का वर्गीकरण व उसका पाचन, अवशोषण व चयापचय का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- प्रोटीन के कार्यों, साधनों एवं उसकी कमी से होने वाले रोगों की विवेचना कीजिए।
  57. प्रश्न- 'शरीर निर्माणक' पौष्टिक तत्व कौन-कौन से हैं? इनके प्राप्ति के स्रोत क्या हैं?
  58. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट का वर्गीकरण कीजिए एवं उनके कार्य बताइये।
  59. प्रश्न- रेशे युक्त आहार से आप क्या समझते हैं? इसके स्रोत व कार्य बताइये।
  60. प्रश्न- वसा का अर्थ बताइए तथा उसका वर्गीकरण समझाइए।
  61. प्रश्न- वसा की दैनिक आवश्यकता बताइए तथा इसकी कमी तथा अधिकता से होने वाली हानियों को बताइए।
  62. प्रश्न- विटामिन से क्या अभिप्राय है? विटामिन का सामान्य वर्गीकरण देते हुए प्रत्येक का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  63. प्रश्न- वसा में घुलनशील विटामिन क्या होते हैं? आहार में विटामिन 'ए' कार्य, स्रोत तथा कमी से होने वाले रोगों का उल्लेख कीजिये।
  64. प्रश्न- खनिज तत्व क्या होते हैं? विभिन्न प्रकार के आवश्यक खनिज तत्वों के कार्यों तथा प्रभावों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  65. प्रश्न- शरीर में लौह लवण की उपस्थिति, स्रोत, दैनिक आवश्यकता, कार्य, न्यूनता के प्रभाव तथा इसके अवशोषण एवं चयापचय का वर्णन कीजिए।
  66. प्रश्न- प्रोटीन की आवश्यकता को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
  67. प्रश्न- क्वाशियोरकर कुपोषण के लक्षण बताइए।
  68. प्रश्न- भारतवासियों के भोजन में प्रोटीन की कमी के कारणों को संक्षेप में बताइए।
  69. प्रश्न- प्रोटीन हीनता के कारण बताइए।
  70. प्रश्न- क्वाशियोरकर तथा मेरेस्मस के लक्षण बताइए।
  71. प्रश्न- प्रोटीन के कार्यों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  72. प्रश्न- भोजन में अनाज के साथ दाल को सम्मिलित करने से प्रोटीन का पोषक मूल्य बढ़ जाता है।-कारण बताइये।
  73. प्रश्न- शरीर में प्रोटीन की आवश्यकता और कार्य लिखिए।
  74. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट्स के स्रोत बताइये।
  75. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट्स का वर्गीकरण कीजिए (केवल चार्ट द्वारा)।
  76. प्रश्न- यौगिक लिपिड के बारे में अतिसंक्षेप में बताइए।
  77. प्रश्न- आवश्यक वसीय अम्लों के बारे में बताइए।
  78. प्रश्न- किन्हीं दो वसा में घुलनशील विटामिन्स के रासायनिक नाम बताइये।
  79. प्रश्न बेरी-बेरी रोग का कारण, लक्षण एवं उपचार बताइये।
  80. प्रश्न- विटामिन (K) के के कार्य एवं प्राप्ति के साधन बताइये।
  81. प्रश्न- विटामिन K की कमी से होने वाले रोगों का वर्णन कीजिए।
  82. प्रश्न- एनीमिया के प्रकारों को बताइए।
  83. प्रश्न- आयोडीन के बारे में अति संक्षेप में बताइए।
  84. प्रश्न- आयोडीन के कार्य अति संक्षेप में बताइए।
  85. प्रश्न- आयोडीन की कमी से होने वाला रोग घेंघा के बारे में बताइए।
  86. प्रश्न- खनिज क्या होते हैं? मेजर तत्व और ट्रेस खनिज तत्व में अन्तर बताइए।
  87. प्रश्न- लौह तत्व के कोई चार स्रोत बताइये।
  88. प्रश्न- कैल्शियम के कोई दो अच्छे स्रोत बताइये।
  89. प्रश्न- भोजन पकाना क्यों आवश्यक है? भोजन पकाने की विभिन्न विधियों का वर्णन करिए।
  90. प्रश्न- भोजन पकाने की विभिन्न विधियाँ पौष्टिक तत्वों की मात्रा को किस प्रकार प्रभावित करती हैं? विस्तार से बताइए।
  91. प्रश्न- “भाप द्वारा पकाया भोजन सबसे उत्तम होता है।" इस कथन की पुष्टि कीजिए।
  92. प्रश्न- भोजन विषाक्तता पर टिप्पणी लिखिए।
  93. प्रश्न- भूनना व बेकिंग में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  94. प्रश्न- खाद्य पदार्थों में मिलावट किन कारणों से की जाती है? मिलावट किस प्रकार की जाती है?
  95. प्रश्न- मानव विकास को परिभाषित करते हुए इसकी उपयोगिता स्पष्ट करो।
  96. प्रश्न- मानव विकास के अध्ययन के महत्व की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।
  97. प्रश्न- वंशानुक्रम से आप क्या समझते है। वंशानुक्रम का मानवं विकास पर क्या प्रभाव पड़ता है?
  98. प्रश्न . वातावरण से क्या तात्पर्य है? विभिन्न प्रकार के वातावरण का मानव विकास पर पड़ने वाले प्रभावों की चर्चा कीजिए।
  99. प्रश्न . विकास एवं वृद्धि से आप क्या समझते हैं? विकास में होने वाले प्रमुख परिवर्तन कौन-कौन से हैं?
  100. प्रश्न- विकास के प्रमुख नियमों के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा कीजिए।
  101. प्रश्न- वृद्धि एवं विकास को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिए।
  102. प्रश्न- बाल विकास के अध्ययन की परिभाषा तथा आवश्यकता बताइये।
  103. प्रश्न- पूर्व-बाल्यावस्था में बालकों के शारीरिक विकास से आप क्या समझते हैं?
  104. प्रश्न- पूर्व-बाल्या अवस्था में क्रियात्मक विकास से आप क्या समझते हैं?
  105. प्रश्न- मानव विकास को समझने में शिक्षा की भूमिका बताओ।
  106. प्रश्न- बाल मनोविज्ञान एवं मानव विकास में क्या अन्तर है?
  107. प्रश्न- वृद्धि एवं विकास में क्या अन्तर है?
  108. प्रश्न- गर्भकालीन विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-सी हैं? समझाइए।
  109. प्रश्न- गर्भकालीन विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक कौन से है। विस्तार में समझाइए |
  110. प्रश्न- गर्भाधान तथा निषेचन की प्रक्रिया को स्पष्ट करते हुए भ्रूण विकास की प्रमुख अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।.
  111. प्रश्न- गर्भावस्था के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
  112. प्रश्न- प्रसव कितने प्रकार के होते हैं?
  113. प्रश्न- विकासात्मक अवस्थाओं से क्या आशर्य है? हरलॉक द्वारा दी गयी विकासात्मक अवस्थाओं की सूची बना कर उन्हें समझाइए।
  114. प्रश्न- "गर्भकालीन टॉक्सीमिया" को समझाइए।
  115. प्रश्न- विभिन्न प्रसव प्रक्रियाएँ कौन-सी हैं? किसी एक का वर्णन कीएिज।
  116. प्रश्न- आर. एच. तत्व को समझाइये।
  117. प्रश्न- विकासोचित कार्य का अर्थ बताइये। संक्षिप्त में 0-2 वर्ष के बच्चों के विकासोचित कार्य के बारे में बताइये।
  118. प्रश्न- नवजात शिशु की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करो।
  119. प्रश्न- नवजात शिशु की पूर्व अन्तर्क्रिया और संवेदी अनुक्रियाओं का वर्णन कीजिए। वह अपने वाह्य वातावरण से अनुकूलन कैसे स्थापित करता है? समझाइए।
  120. प्रश्न- क्रियात्मक विकास से आप क्या समझते है? क्रियात्मक विकास का महत्व बताइये |
  121. प्रश्न- शैशवावस्था तथा स्कूल पूर्व बालकों के शारीरिक एवं क्रियात्मक विकास से आपक्या समझते हैं?
  122. प्रश्न- शैशवावस्था एवं स्कूल पूर्व बालकों के सामाजिक विकास से आप क्यसमझते हैं?
  123. प्रश्न- शैशवावस्थ एवं स्कूल पूर्व बालकों के संवेगात्मक विकास के सन्दर्भ में अध्ययन प्रस्तुत कीजिए।
  124. प्रश्न- शैशवावस्था क्या है?
  125. प्रश्न- शैशवावस्था में संवेगात्मक विकास क्या है?
  126. प्रश्न- शैशवावस्था की विशेषताएं क्या हैं?
  127. प्रश्न- शैशवावस्था में शिशु की शिक्षा के स्वरूप पर टिप्पणी लिखो।
  128. प्रश्न- शिशुकाल में शारीरिक विकास किस प्रकार होता है।
  129. प्रश्न- शैशवावस्था में मानसिक विकास कैसे होता है?
  130. प्रश्न- शैशवावस्था में गत्यात्मक विकास क्या है?
  131. प्रश्न- 1-2 वर्ष के बालकों के संज्ञानात्मक विकास के बारे में लिखिए।
  132. प्रश्न- बालक के भाषा विकास पर टिप्पणी लिखिए।
  133. प्रश्न- संवेग क्या है? बालकों के संवेगों का महत्व बताइये।
  134. प्रश्न- बालकों के संवेगों की विशेषताएँ बताइये।
  135. प्रश्न- बालकों के संवेगात्मक व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं समझाइये |
  136. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से आप क्या समझते है। पियाजे के संज्ञानात्मक विकासात्मक सिद्धान्त को समझाइये।
  137. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  138. प्रश्न- दो से छ: वर्ष के बच्चों का शारीरिक व माँसपेशियों का विकास किस प्रकार होता है? समझाइये।
  139. प्रश्न- व्यक्तित्व विकास से आपका क्या तात्पर्य है? बच्चे के व्यक्तित्व विकास को प्रभावित करने वाले कारकों को समझाइए।
  140. प्रश्न- भाषा पूर्व अभिव्यक्ति के प्रकार बताइये।
  141. प्रश्न- बाल्यावस्था क्या है?
  142. प्रश्न- बाल्यावस्था की विशेषताएं बताइयें।
  143. प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में खेलों के प्रकार बताइए।
  144. प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में बच्चे अपने क्रोध का प्रदर्शन किस प्रकार करते हैं?

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